Tuesday, July 21, 2020

कोरोना का डर , आंकड़ों की बाजीगरी और वैक्सीन

सबसे पहले बात करते है कोरोना वायरस की , तो ये जगज़ाहिर है की SARS फैमिली का ये एक नए तरह का वायरस है , जिसका ज्ञात स्रोत  चीन का वुहान है और कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी जुकाम जैसी ही है , जिसमे व्यक्ति को श्वांस सम्बंधित बीमारी होने का खतरा है। इस वायरस  से संक्रमित 80  प्रतिशत लोगों
 को कोई बीमारी नहीं होती या नार्मल जुकाम जैसे लक्षण आते है और अपने आप ठीक हो जाते है , 15 प्रतिशत लोगों को गंभीर जुकाम हो सकता है और ऑक्सीजन सपोर्ट की जरुरत पढ़ सकती है , वंही 5 प्रतिशत लोगों को वेंटीलेटर की जरुरत पढ़ सकती  है[1]। हालाँकि जैसे जैसे टेस्ट बढ़ते जाएंगे ये आंकड़े कम  होते जाएंगे , उदहारण के लिए आपको बता दूँ अप्रैल के शुरुआत में worldometers.info  वेबसाइट पर closed cases  में मृत्यु दर 20 प्रतिशत थी , आज ज्यादा आकंड़े उपलब्ध होने पर वह 6 प्रतिशत रह गयी है 4 महीने से भी कम  समय में 14 प्रतिशत कम , मतलब साल के अंत तक यह 1  प्रतिशत पहुंच जाए तो कोई आश्चर्य नहीं।
अब  तथ्य को थोड़ा गहराई से समझ लेते है , मृत्यु दर मांपने के 2 पैमाने है CFR (case fatality rate ) और IFR ( Infection fatality rate ) . CFR अब रिपोर्टेड केसेस के आधार पर मृत्यु दर का आंकलन करता है , वंही IFR रिपोर्टेड के साथ साथ बिना लक्षणों वाले और बिना इलाज़ ठीक होने वाले लोगों का भी अनुमानित आंकड़ा भी गणना में शामिल करता है [2 ]  . इस हिसाब से देखा जाए तो अंतिम मृत्यु दर IFR वाली ही सही मानी जाती है। मार्च में डॉक्टर एन्थोनी  फौसी ने अनुमानित मृत्यु दर 2 प्रतिशत बताई थी [3] , जो अब CDC  ने 29 जून के ताज़ा आंकड़ों के हिसाब से कम करके 0. 68 प्रतिशत कर  दी है [4] . नार्मल जुकाम की मृत्यु दर 0.1  प्रतिशत है , और यह तय है की आने वाले टाइम में कोरोना की मृत्यु दर भी घटेगी ही बढ़ेगी नहीं ( देखें निचे दिया गया CNN का  श्रोत[5 ] : कोरोना का नया म्युटेशन लोगों को कम  बीमार करता है ). NCDC द्वारा दिल्ली में कराये गए सेरिओलॉजी टेस्ट के रिजल्ट आज ही  आएं है और इस रैंडम सर्वे के रिजल्ट बताते है कि दिल्ली में अब तक 23 फीसदी लोग कोरोना संक्रमित हो चुके है , तो इस सर्वे की माने तो अब तक 46 लाख लोग दिल्ली में कोरोना संक्रमित हो चुके हैं [6] और मौतें कितनी हुई 3690 , चलिए 4000 मान लेते हैं।  अब मृत्यु दर निकालिये , 0.087 फीसदी (इसी को IFR कहते हैं ) , और यह आंकड़ा नार्मल फ्लू (0.1 फीसदी मृत्यु दर ) से बहुत कम है।

आज के समय की सबसे बढ़ी ताक़त है ढेर सारा डाटा और सबसे बढ़ी समस्या भी वही है , दुनियाभर में बैठी फासिस्ट सरकारें ये निर्धारित करती हैं की आपको क्या दिखाना है क्या नहीं चलिए अब आपको कुछ पुराने डाटा से रूबरू करवाते हैं  :
1. 2018 में भारत में कैंसर से 7,84,821 लोगों की मौत हुई थी और दुनियाभर में 9600000 लोगों की। [7]
2. अक्टूबर 2019 से अप्रैल 2020 तक अमेरिका में 62000 लोगों की मौत सीजनल फ्लू से हुई है। [8]
3. लगभग ३ लाख बच्चे भारत में हर साल डाईरिया से मर जाते हैं.[9]
4.  लगभग 1 लाख 27 हज़ार बच्चे हर साल न्यूमोनिया से मर जाते है।[10]

ऐसे और भी बहुत से आंकड़े आपको इंटरनेट पर मिल जाएंगे , और ऊपर दी गयी सारी बीमारियों का इलाज संभव है , दवाइयाँ उपलब्ध है फिर भी इतनी मौतें हो रही हैं। अब इन आंकड़ों को कोरोना के साथ रखकर देखिये , कोरोना से दुनियाभर में पिछले 7  महीनों में  6,14,771 मौतें हुई है और इंडिया में 28,330 मौते। इस हिसाब से देखा जाए तो अगले 5 महीनों में 4 से 5 लाख मौतें और हो सकती है , फिर भी कैंसर से होने वाली मौतों के इर्द गिर्द भी नहीं पहुँचता है ये आंकड़ा  . तो आप बताईये आप किस बीमारी के लिए ज्यादा सतर्क होंगे , जिससे मौत होने का खतरा ज्यादा है या जो फैलती ज्यादा है ?? आप बताईये दुनियाभर की सरकारों ने कैंसर के रोकथाम के लिए किस स्तर पर तैयारियाँ की ? सिगरेट , तम्बाखू खुलेआम बिक रहा है , जंक फ़ूड खुलेआम बिक रहा है , पब्लिक प्लेसेस पर लोग खुलेआम सिगरेट का धुआँ उड़ाते देखे जा सकते है।  गरीब मज़दूर बस्तियों की हालत सुधारने के लिए कौन सी सरकारों ने काम किया ?? डाईरिया गन्दगी की वजह से ही फैलता है ? कभी सुना न्यूज़ चैनल्स को मज़दूर बस्तियों में  साफ़ सफाई के लिए हाय तौबा मचाते ?? नहीं सुना होगा , फिर कोरोना में ऐसा क्या है ?? सब कुछ लॉकडाउन कर  दिया , करोड़ों लोग बेरोज़गार हो गए ,  करोड़ों की नौकरी जाने वाली है , किसी की तनख्वाह कम हो  गयी। छोटे बिज़नेस तबाह हो गए और अम्बानी दुनिया में अमीरों के पायदान में छठे नंबर पर पहुंच गए।  श्रम कानूनों को समाप्त कर दिया गया , राजनीतिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर मरने के लिए जेल में डाल दिया गया और जनता के सारे अधिकार छीन लिए गए।  न कोई विरोध  ,  न सत्ता के खिलाफ कोई आवाज़ कोरोना के आंकड़ों की हाय  तौबा में डर डर के जिओ।  सारा देश पुलिस स्टेट में तब्दील कर दिया गया है , बिना आपातकाल लगाए हम सब आपातकाल में जी रहे है।  शाम होते ही पुलिस डंडे लेकर दुकाने बंद करवाने आ जाती है , किसी को भी रोककर मास्क और सैनिटाइज़र   नाम  पर धमका देती है , फाइन वसूल लेती है।

ये सब आंकड़ों की बाज़ीगरी ही है की जिस बीमारी की मृत्यु दर  मात्र 0.65 प्रतिशत ही उससे हम इतना डरे बैठे हैं , और कुछ लोग डरे ही नहीं बैठे बल्कि डर फैलाने का काम भी कर रहे हैं।  यह सच है की कोरोना एक नया वायरस है , जो कुछ लोगों में गंभीर बीमारी पैदा करता है और इससे बचाव जरुरी है।  देखा जाए तो बचाव तो  सभी बीमारियों से जरुरी है , लेकिन इस तरह से डर के नहीं , करोड़ों लोगों को बेरोज़गार कर के नहीं , डूबती हुई अर्थव्यवस्था में लॉकडाउन करके सारी ज़िम्मेदारी कोरोना पे थोप के नहीं।

चलिए ये तो बात हुई कोरोना और आंकड़ों की बाज़ीगरी की , अब बात करते है वैक्सीन की।  अव्वल तो यह की WHO बार बार यह कहता रहा है की कोरोना की वैक्सीन बना पाना शायद संभव न हो और हमें इसके साथ ही जीना पढ़े , फिर भी कल ऑक्सफ़ोर्ड वालों ने वैक्सीन की सफलता के दावे कर  ही डाले।  तो  इस बारें में आप को बता दूँ की वैक्सीन के ज़रिये हमारे शरीर में वायरस के प्रति एक एंटीबाडी डेवेलप किया जाता है जो वायरस के इन्फेक्शन को फैलने से रोक देता है और हम बीमार नहीं होते , इसी तरह कोई भी व्यक्ति जो वायरस से इन्फेक्ट होकर ठीक हो जाता है उसका शरीर भी वो एंटीबाडी डेवेलप कर लेता है , जैसा कि आपने देखा होगा ऐसे व्यक्ति प्लाज्मा डोनेट करके दूसरों की जान बचा रहे हैं।  लेकिन यह खुद से डेवेलप हुई एंटीबाडी भी एक व्यक्ति के शरीर में 3 महीनों तक ही रहती है।  3 महीनो बाद वो व्यक्ति कोरोना की वजह से दोबारा बीमार पढ़ सकता है।  ऐसी स्थिति में वैक्सीन कैसे काम करेगी ये अभी तय नहीं हुआ है। साथ ही यह भी बताया जा रहा है की वायरस म्यूटेट कर रहा है , फिर नए म्युटेशन पर वैक्सीन काम करेगी या नहीं ?? यंहा यह भी बताता चलूँ की HIV की वैक्सीन आज तक नहीं बनी है जबकि पूरे 36 साल हो गए इस वायरस का  पता चले।  और इसे छोड़िये SARS फैमिली का ही वायरस जो  स्वाइन फ्लू बीमारी पैदा करता था उसकी भी कोई वैक्सीन नहीं बनी जबकि १२ साल हो गए .


लेकिन कोरोना की वैक्सीन आ जायेगी आनन् फानन में , सिर्फ 6 महीने में वैक्सीन तैयार।  क्या आप जानते है फ्लू की भी वैक्सीन होती है , हर साल लगवानी पड़ती है क्यूंकि उससे बनने वाली एंटीबाडी १ साल में ख़त्म हो जाती है।  सोचिये कोरोना की वैक्सीन भी ऐसी ही हुई और आपको हर 3 या 6 महीने में लगवानी पड़ीं  तो ?? तो फार्मा कंपनियों की बल्ले बल्ले ,  इंडिया में तो इसके प्रोडक्शन की कोशिशें भी शुरू हो गयी हैं।  आपको पहले ही इतना डरा दिया गया है की आप आखें बंद करके वैक्सीन खरींदेंगे।  याद ही होगा पहली वैक्सीन रेमडिसीवीआर  ह्यूमन ट्रायल में फेल हो गयी थी , उसके बाद क्या हुआ ?? कंपनी बोली वैक्सीन नहीं  बनी लेकिन ये कोरोना के इलाज़ में कारगर है और आज मार्किट में इसकी तय कीमत 4 से 5 हज़ार रुपये है और 40 से 50 हज़ार रुपये में बेचीं गयी है[11].
देश की स्वघोषित मालकिन नीता अम्बानी अपनी कंपनी के AGM में बोल ही चुकी है की देश के हर नागरिक तक वैक्सीन पहुंचे ये सुनिश्चित करेगी।  हो सकता है आपको कभी पता ही न चले  कि वैक्सीन के नाम पे आपको क्या दिया जा रहा और किस बात के पैसे वसूले जा रहे है ? 
यह जरुरी नहीं की बहुसंख्यक जिस बात को कह रहे हो या सारा मीडिया एक सुर में जिसका प्रचार करने में लग जाए वो सच ही हो।  आपके सामने डाटा का अम्बार लगा हुआ है और सरकारों को जो पसंद है वो इनफार्मेशन उसमे से निकाल कर आपके सामने परोस दी जाती है , तथ्यों को ध्यान से देखिये और समझिये सारी  सच्चाई आपको खुद पता चल जायेगी। 


References :: 
1. https://www.who.int/emergencies/diseases/novel-coronavirus-2019/question-and-answers-hub/q-a-detail/q-a-similarities-and-differences-covid-19-and-influenza?gclid=CjwKCAjwgdX4BRB_EiwAg8O8Hb_up4diLv1WQUSc4og6EKC6-Bds_v0tDwezMoFrDjRlY4Up_tjA1RoCrK0QAvD_BwE.
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Case_fatality_rate
3. https://www.nejm.org/doi/full/10.1056/NEJMe2002387
4. https://www.cdc.gov/coronavirus/2019-ncov/hcp/planning-scenarios.html 
    https://www.medrxiv.org/content/10.1101/2020.05.03.20089854v4
    https://in.dental-tribune.com/news/new-estimate-by-the-cdc-brings-down-the-covid-19-death-rate-to-just-0-26-as-against-whos-3-4/
5. https://edition.cnn.com/2020/07/02/health/coronavirus-mutation-spread-study/index.html
6. https://khabar.ndtv.com/news/india/coronavirus-pandemic-niti-aayod-member-vk-paul-explains-outcome-of-sero-survey-for-people-of-delhi-2266537
7. http://cancerindia.org.in/cancer-statistics/
8. https://www.cdc.gov/flu/about/burden/preliminary-in-season-estimates.htm

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