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भूतो के झुण्ड गुजरते हैं
कुत्तों - भैंसों पर हो सवार
जीवन जलता है कन्डो- सा
है गगन उगलता अन्धकार
यूँ हिन्दू राष्ट्र बनाने का
उन्माद जगाया जाता है
नरमेघ यज्ञ में लाशों का
यूँ डेर लगाया जाता है
यूँ संसद में आता बसंत
यूँ सत्ता गाती है मल्हार
यूँ फासीवाद मचलता है
करता है जीवन पर प्रहार
इतिहास यूँ रचा जाता है
ज्यों हो हिटलर का अट्टहास
यूँ धर्म चाकरी करता है
पूंजी करती बैभव विलास .
- Katyayani.