उत्तर प्रदेश के जिला गोरखपुर में शांति पूर्ण धरना कररहे ५०० मजदूरों पर पुलिस ने आज लाठिचार्जे कर दिया और ७३ मजदूरों को गिरफ्तार कर लिया .
और मजदूरों के नेता तपिश मंदोला को गिरफ्तार कर पुलिस अज्ञात स्थान पर ले गयी है. ज्ञात हो कि गोरखपुर में बर्खास्त मजदूरों को काम पर बापस लिए जाने और ३ मई को मजदूरों पर फाइरिंग करने वाले गुंडों के खिलाफ कार्यवाही कि मांग करने के लिए मजदूरों शांतिपूर्ण सत्याग्रह आन्दोलन कर रहे थे. इतने दिनों से मजदूरों कि मांगे मानना तो दूर उलटे पुलिस ने आज ५०० मजदूरों पर बर्बर तरीके से लाठिचार्जे कर दिया और ७३ मजदूरों को गिरफ्तार कर लिया. ७३ गिरफ्तार मजदूरों में से ३० मजदूरों और उनके नेता तपिश कि गिफ्तारी पुलिस दिखा नहीं रही है . पुलिस पहले भी मजदूर नेतायों के खिलाफ भ्रामक प्रचार करती रही है और उन्हें बहार से आये हुए माओवादी और नक्सालवादी बताती रही है. तपिश को पुलिस ने किसी अज्ञात स्थान से गिरफ्तार किया है जबकि वे उस समय धरने में सामिल नहीं थे और पुलिस उनकी गिफ्तारी दिखा भी नहीं रही है ऐसे में तपिश को चोट पहुचाये जाने कि आशंका है . २ साल पहले भी पुलिस तपिश और दुसरे मजदूर नेतायों को गिरफ्तार कर एनकाउंटर करने कि कोशिश कर चुकी है .तब पुलिस को भारी दवाव के चलते उन्हें रिहा करना पड़ा था . और अब फिर पुलिस मिल मालिओं के साथ मिलके असंवैधानिक तरीके से मजदूरों के आन्दोलन को कुचलने की कोशिश कर रही है. क्या मजदूरों का अपनी आवाज़ उठाना माओवाद है? क्या मजदूरों का शांतिपूर्ण सत्याग्रह भी गुनाह है ?और मिल मालिक के गुंडों द्वारा कि कई फायरिंग कुछ भी नहीं.
देखिये देश कि एक जानी मानी पत्रिका तहलका कि रिपोर्ट.---
http://www.tehelkahindi.com/rajyavar/%E0%A4%89%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B0-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6/%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%86%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9C-%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%82.html
प्रशासन तक अपनी बात पहुचाने से मजदूरों को रोकती पुलिस.
http://www.youtube.com/watch?v=im9G4ytiScM&feature=player_embedded
सभी लोगो से अपील है कि उत्तर प्रदेश में पुलिस के इस बर्बर दमन के किलाफ आवाज़ उठायें. अपनी बात सरकार तक पहुचाने के लिए कुछ फ़ोन और फैक्स नंबर निचे दिए हैं
Div. Commissioner, Gkp, Mr K. Ravindra Nair: 09454400207
District Masgistrate, AK Shukla: 09454417544
DIG: 09454417500
City Magistrate, JK Singh: 09454416213
Commissioner
Office of the Commissioner
Collectrate, Gorakhpur - 273001
0551 - 2338817 (Fax)
Gorakhpur (0551)
Divisional Commissioner
2333076/2335238 (off)
2336022 (Res)
2338817 (Fax)
9454417500
District Magistrate
Office of the District Magistrate
Collectrate, Gorakhpur - 273001
0551 - 2334569 (Fax)
City Magistrate: J.K. Singh
9454416213
Dy Inspector General of Police
Cantt., Gorakhpur: 09454400207
0551 - 2201187 / 2333442
DLC, S.P. Shukla
Labour Office, Civil Lines, Gorakhpur-273001
09453043030
Governor, BL Joshi
Raj Bhavan, Lucknow-226001
0522-2220331, 2236992, 2220494
Fax: 0522-2223892
Special Secretary to Governor: 0522-2236113
Km. Mayawati,
Chief Minister
Fifth Floor, Secretariat Annexe
Lucknow-226001
0522 - 2235733, 2239234 (Fax)
0522 - 2236181, 2239296, 2215501 (Office)
0522 - 2236838 2236985 (Res)
Shri Badshah Singh :
Labour Minister, Department of Labour
Secretariat , Lucknow
0522 - 2238925 (Fax)
Deepak Kumar Singh Home Secretary 09454405003 Principal Secretary, Labour
Department of Labour
Secretariat, Lucknow - 226001
0522 - 2237831 (Fax)
Anand Kumar Singh
joint secretary
9415159087
Gorakhpur (0551)
Divisional Commissioner 09454417500
2333076, 2335238 (off)
2336022 (Res)
Friday, May 20, 2011
Wednesday, May 4, 2011
सभी उच्च चेतना वाले इंसानों से एक अपील
As all of you know from my previous posts that what happens in gorakhpur. here i appeal all the intellectuals that we must have to protest all over the country for such a drastic event.
20 workers are gunned in which 2 are very critical . without any reason they factory owners treated people like animals is this the era of imperialism?
all of we have to write letters to our so called watchmen s of democracy that why they are sleeping. is the industrialists put money in there mouths. if not so then they must have to take action against that factory owner and his goons.
I here call all of you to join the protest at uttar pradesh bhavan new delhi at 11:00 hours on Thursday 05-04-2001
20 workers are gunned in which 2 are very critical . without any reason they factory owners treated people like animals is this the era of imperialism?
all of we have to write letters to our so called watchmen s of democracy that why they are sleeping. is the industrialists put money in there mouths. if not so then they must have to take action against that factory owner and his goons.
I here call all of you to join the protest at uttar pradesh bhavan new delhi at 11:00 hours on Thursday 05-04-2001
मजदूरों के साथ किया गया गुलामो जैसा वर्ताव : मई दिवस से लौटे गोरखपुर के मजदूरों पर पूंजीपतियों ने चलवायीं गोलिया
१ मई (रविवार) को नई दिल्ली में जंतर मंतर पर मजदूर मान्ग्पत्रक आन्दोलन में सम्मिलित होने वाले गोरखपुर के मजदूर जब बापस अपनी फैक्टर्यिओं पर काम करने बापस पहुचे तो मालिक ने लगभग ३० मजदूरों को वर्खास्त कर दिया था . विरोध करने पर मालिक ने पहले से मौजूद गुंडों कि मदद से निर्दोष मजदूरों पर फाइरिंग करवा दी.
यह घटना गोरखपुर के बरगढ़ाबा में स्थित अंकुर उद्योग धागा फैक्टरी में हुई. फाइरिंग में २० मजदूर ज़ख़्मी हो गए जिसमे से २ कि हालत घम्भीर है .मजदूरों ने मिल मालिक अशोक जालन उसके बेटे अंकुर जालन सुपेर्वैसर विश्राम सिंह और गुंडे प्रदीप सिंह के खिलाफ नामजढ रिपोर्ट लिखवाई है .
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttarpradesh/4_1_7672932_1.html
किन्तु इतना सब होने के बाद भी प्रशाशन और पोलिसे पूरी तरह से मिल मालिक और गुंडों को ही बचने कि कोशिश में लगी रही. इतना ही नही उन्होंने मजदूरों के साथी प्रशांत , तपिश पर माओवादी होने का आरोप तक लगा दिया.
पोलिसे उल्टा मजदूरों को ही फ़साने कि कोशिश करती दिखी. ज्यादा द्हवाव बनाने पर उनोह्ने २० गुंडों को गिरफ्तार तो किया किन्तु बाद में शहर से बहार ले जाके छोड़ दिया.
विदित हो कि गोरखपुर में मिल मालिकों कि योगी आदित्यनाथ से अछि मिलीभगत है और आदित्यनाथ सुरुआत से ही मजदूरों के किलाफ व्यान्बाज़ी करता रहा है . ओराख्पुर में वैसे भी प्रशाशन योगी कि आगया के बिना कोई कदम नहीं उठाता .
मजदूरों ने इस घटना के किलाफ देशव्यापी प्रदर्शन करने का निश्चय किया है. इस घटना से देश के खोखले लोकतंत्र कि तस्वीर उजागर हो गयी है कि कैसे लोकतंत्र के दिखावे के नाम पर प्रशाशन और पूंजीपति मिलकर आम आदमी को लूटते हैं और विरोध करने पर घिनौना नंगा नाच करने से भी बाज़ नहीं आते.
यह घटना गोरखपुर के बरगढ़ाबा में स्थित अंकुर उद्योग धागा फैक्टरी में हुई. फाइरिंग में २० मजदूर ज़ख़्मी हो गए जिसमे से २ कि हालत घम्भीर है .मजदूरों ने मिल मालिक अशोक जालन उसके बेटे अंकुर जालन सुपेर्वैसर विश्राम सिंह और गुंडे प्रदीप सिंह के खिलाफ नामजढ रिपोर्ट लिखवाई है .
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttarpradesh/4_1_7672932_1.html
किन्तु इतना सब होने के बाद भी प्रशाशन और पोलिसे पूरी तरह से मिल मालिक और गुंडों को ही बचने कि कोशिश में लगी रही. इतना ही नही उन्होंने मजदूरों के साथी प्रशांत , तपिश पर माओवादी होने का आरोप तक लगा दिया.
पोलिसे उल्टा मजदूरों को ही फ़साने कि कोशिश करती दिखी. ज्यादा द्हवाव बनाने पर उनोह्ने २० गुंडों को गिरफ्तार तो किया किन्तु बाद में शहर से बहार ले जाके छोड़ दिया.
विदित हो कि गोरखपुर में मिल मालिकों कि योगी आदित्यनाथ से अछि मिलीभगत है और आदित्यनाथ सुरुआत से ही मजदूरों के किलाफ व्यान्बाज़ी करता रहा है . ओराख्पुर में वैसे भी प्रशाशन योगी कि आगया के बिना कोई कदम नहीं उठाता .
मजदूरों ने इस घटना के किलाफ देशव्यापी प्रदर्शन करने का निश्चय किया है. इस घटना से देश के खोखले लोकतंत्र कि तस्वीर उजागर हो गयी है कि कैसे लोकतंत्र के दिखावे के नाम पर प्रशाशन और पूंजीपति मिलकर आम आदमी को लूटते हैं और विरोध करने पर घिनौना नंगा नाच करने से भी बाज़ नहीं आते.
मई दिवस - मजदूर मंग्पत्रक आन्दोलन के बारे में
मई दिवस के मौके पर दिल्ली में जंतर मंतर मजदूरों ने प्रदर्शन किया.इस मौके पर देश के बिभिन्न जगहों ( गोरखपुर छत्तीसगढ़ पंजाब ) से भारी शंख्या में मजदूर जंतर मंतर पहुचे. मजदूरों ने अपनी बुनियादी मांगे जैसे काम के घंटे ८ किये जाये, जबरन ओवर टाइम बंद किया जाये , ओवर टाइम का दुगना भुगतान किया हो, महिला मजदूरों को बराबर मजदूरीं दी जाये, आदि बातें मंग्पत्रक में उठायीं. कुल मिलकर उनका कहना था कि जो श्रम कानून सरकार ने बना कर बस फाइलों में बंद कर दिए है उन्हें लागूं कराया जाये. और साथ में उनका कहना था कि महगाई के इस दौर में न्यूनतम मजदूरीं ११००० कि जाये.
मजदूरों के दिल में सरकार और उद्योगपतियों के खिलाफ काफी रोष था .उनका कहना था कि उत्पादन का सारा दारोमदार मेहनतकश वर्ग के ऊपर ही है फिर भी क्यों वे लोग ही नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं? उद्योगपति बस पैसे के दम पे लोगो कि जिंदगियों का सौदा कर लेते है और निर्धारित कर देते है कि उन्हें किन परिथितियों में रहना है जबकि खुद आलिशान बंल्गो में आराम कि ज़िन्दगी बिताते हैं. आज देश में लगभग ७०% मेहनतकश वर्ग है जोकि २० रुपये से कम पे ज़िन्दगी बसर कर रहा है वन्ही दूसरी तरफ बड़े बड़े उद्योगपति करोरों रुपये ऐशो आराम पे खर्च कर देते है . क्या यही है हमारे संविधान का समाजाबाद ? क्या यही है सबको बराबरी से जीने का हक ? मजदूरों ने कहा कि ये अंधेरगर्दी ज्यादा दिन नहीं चलेगी मेहनतकश अपना हक लेके रहेगा.
उस दिन मैंने मजदूरों कि एकता कि मिसाल देखि लगभग ८ हज़ार मजदूर वंहा पे इकठे हुए थे . किन्तु एक भी मीडिया वाला वंहा पर उपस्थित नहीं था . होता भी कैसे ? पूंजीपतियों के पैसे से चलने वाले ये मीडिया चैनल बस अन्ना हजारे जैसे लोगो को ही दिखा सकते है क्योंकि उनसे पूंजीपतियों के तो कोई फर्क पड़ने वाला है नहीं .
लेकिन मजदूर वर्ग इन पुजीपतियों कि मीडिया का मोहताज नहीं है . अगर वे इतनी मेंहनत से इनकी कोठरियां भर सकते है तो अपना हक भी लेने का तरीका उन्हें आता है और वे अपनी मांगे मनवा के रहेंगे.
मजदूरों के दिल में सरकार और उद्योगपतियों के खिलाफ काफी रोष था .उनका कहना था कि उत्पादन का सारा दारोमदार मेहनतकश वर्ग के ऊपर ही है फिर भी क्यों वे लोग ही नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं? उद्योगपति बस पैसे के दम पे लोगो कि जिंदगियों का सौदा कर लेते है और निर्धारित कर देते है कि उन्हें किन परिथितियों में रहना है जबकि खुद आलिशान बंल्गो में आराम कि ज़िन्दगी बिताते हैं. आज देश में लगभग ७०% मेहनतकश वर्ग है जोकि २० रुपये से कम पे ज़िन्दगी बसर कर रहा है वन्ही दूसरी तरफ बड़े बड़े उद्योगपति करोरों रुपये ऐशो आराम पे खर्च कर देते है . क्या यही है हमारे संविधान का समाजाबाद ? क्या यही है सबको बराबरी से जीने का हक ? मजदूरों ने कहा कि ये अंधेरगर्दी ज्यादा दिन नहीं चलेगी मेहनतकश अपना हक लेके रहेगा.
उस दिन मैंने मजदूरों कि एकता कि मिसाल देखि लगभग ८ हज़ार मजदूर वंहा पे इकठे हुए थे . किन्तु एक भी मीडिया वाला वंहा पर उपस्थित नहीं था . होता भी कैसे ? पूंजीपतियों के पैसे से चलने वाले ये मीडिया चैनल बस अन्ना हजारे जैसे लोगो को ही दिखा सकते है क्योंकि उनसे पूंजीपतियों के तो कोई फर्क पड़ने वाला है नहीं .
लेकिन मजदूर वर्ग इन पुजीपतियों कि मीडिया का मोहताज नहीं है . अगर वे इतनी मेंहनत से इनकी कोठरियां भर सकते है तो अपना हक भी लेने का तरीका उन्हें आता है और वे अपनी मांगे मनवा के रहेंगे.
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