Wednesday, May 4, 2011

मई दिवस - मजदूर मंग्पत्रक आन्दोलन के बारे में

मई दिवस के मौके पर दिल्ली में जंतर मंतर मजदूरों ने प्रदर्शन किया.इस मौके पर देश के बिभिन्न जगहों ( गोरखपुर छत्तीसगढ़ पंजाब ) से भारी शंख्या में मजदूर जंतर मंतर पहुचे. मजदूरों ने अपनी बुनियादी मांगे जैसे काम के घंटे ८ किये जाये, जबरन ओवर टाइम बंद किया जाये , ओवर टाइम का दुगना भुगतान किया हो, महिला मजदूरों को बराबर मजदूरीं दी जाये, आदि बातें मंग्पत्रक में उठायीं. कुल मिलकर उनका कहना था कि जो श्रम कानून सरकार ने बना कर बस फाइलों में बंद कर दिए है उन्हें लागूं कराया जाये. और साथ में उनका कहना था कि महगाई के इस दौर में न्यूनतम मजदूरीं ११००० कि जाये.
मजदूरों के दिल में सरकार और उद्योगपतियों के खिलाफ काफी रोष था .उनका कहना था कि उत्पादन का सारा दारोमदार मेहनतकश वर्ग के ऊपर ही है फिर भी क्यों वे लोग ही नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं? उद्योगपति बस पैसे के दम पे लोगो कि जिंदगियों का सौदा कर लेते है और निर्धारित कर देते है कि उन्हें किन परिथितियों में रहना है जबकि खुद आलिशान बंल्गो में आराम कि ज़िन्दगी बिताते हैं. आज देश में लगभग ७०% मेहनतकश वर्ग है जोकि २० रुपये से कम पे ज़िन्दगी बसर कर रहा है वन्ही दूसरी तरफ बड़े बड़े उद्योगपति करोरों रुपये ऐशो आराम पे खर्च कर देते है . क्या यही है हमारे संविधान का समाजाबाद ? क्या यही है सबको बराबरी से जीने का हक ? मजदूरों ने कहा कि ये अंधेरगर्दी ज्यादा दिन नहीं चलेगी मेहनतकश अपना हक लेके रहेगा.
उस दिन मैंने मजदूरों कि एकता कि मिसाल देखि लगभग ८ हज़ार मजदूर वंहा पे इकठे हुए थे . किन्तु एक भी मीडिया वाला वंहा पर उपस्थित नहीं था . होता भी कैसे ? पूंजीपतियों के पैसे से चलने वाले ये मीडिया चैनल बस अन्ना हजारे जैसे लोगो को ही दिखा सकते है क्योंकि उनसे पूंजीपतियों के तो कोई फर्क पड़ने वाला है नहीं .
लेकिन मजदूर वर्ग इन पुजीपतियों कि मीडिया का मोहताज नहीं है . अगर वे इतनी मेंहनत से इनकी कोठरियां भर सकते है तो अपना हक भी लेने का तरीका उन्हें आता है और वे अपनी मांगे मनवा के रहेंगे.

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