नयी सरकार के गठन के बाद से पिछले १० महीनो में कितना विकास हुआ ये तो सभी जानते ही हैं। कुछ
हुआ हो या न हुआ हो किन्तु कुछ घटनाएँ ऐसी है जिनके बारे में आपको निरंतर सुनने को मिला होगा , जैसे
फलां चर्च में तोड़फोड़ , कंही नन का बलात्कार , कंही मस्जिद तोड़ने की बात , कंही हिन्दू जीवन शैली की बात तो कंही घर वापसी जैसे मुद्दे , कोई १० बच्चे पैदा करने की नसीहत दे रहा है , तो कोई चर्च में हनुमान की मूर्ति टांग रहा है , इसी तरह की और भी कई उदाहरण आपको मिल जायेंगे , अब बात करते हैं दूसरे पक्ष की तो वंहा भी कोई घर बचाने की नौटंकी करके हरिजनों को इस्लाम कबूल करवा रहा है , तो कंही पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लग रहे हैं .
गौर करने की बात एक तरफ योगी , स्वामी , साध्वी की फ़ौज खड़ी है जो बीजेपी और आरएसएस जैसे संघठनो से सम्बद्ध हैं और दूसरी तरफ आज़म , ओवैसी , गिलानी जैसे इस्लाम के पैरोकार कर्णधार हैं। सोचने वाली बात यह है की अचानक यह सारे धर्म के ठेकेदार इतने सक्रिय क्यों हो गए और धर्म के नाम पर सामाजिक वैमनष्यता फ़ैलाने की पुरज़ोर कोशिश में लग गए , यंहा तक की मौजूदा सरकार के सांसद भी ऐसे बयांन देने में पीछे नहीं हैं और सरकार की इनपर लगाम लगाने की कोई ख़ास इक्छाशक्ति नज़र नहीं आ रही ? इन घटनाओं को देखते हुए ऐसा लगता कि प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से ये सब केंद्र में बीजेपी की सरकार और उसके साथी आरएसएस जैसे संगठनो के इशारे पर हो रहा है। आरएसएस जैसे फासीवादी संगठनो ने इतनो सालों की कड़ी मेहनत से जो फासिस्टों कि फ़ौज तैयार की थी , अब समय आ गया है जब वे इसका इस्तेमाल अपने लक्ष्य के लिए करें। इनका अपने लक्ष्य में कामयाब होने का सिर्फ एक ही तरीका है और वह है हिन्दू और मुस्लिम का पूर्ण ध्रुवीकरण , गौरतलब बात यह है कि पूर्ण ध्रुवीकरण की राजनीति तभी सफल हो सकती है जब बहुसंख्यक के साथ साथ अल्पसंख्यकों के भी ध्रुवीकरण की ज़मीन तैयार हो। और मौजूदा समय में जंहाँ एक तरफ हिन्दू फासिस्ट अपने काम में लगे हुये हैं वंही दूसरी तरफ मुस्लिम फासिस्टों को भी पूरा मौका दिया जा रहा है ताकि आने वाले समय में दोनों कौमो को एक दूसरे का दुश्मन बनाकर ये अपने नापाक मंसूबों में कामयाब हो सकें।
ऐसे में इन फासिस्टों का पहला टारगेट होता है वो युवा वर्ग जो बेरोज़गारी , गरीबी जैसी समस्यायों से परेशान है , ऐसे युवा वर्ग को बड़ी आसानी से ये लोग यह समझाने में कामयाब हो जाते हैं की सारी समस्यायों की जड़ दूसरी कौम है और उसे एक कौम के खिलाफ भड़काते हैं। और ये कोशिशें तब और भी तेज हो जाती है जब पूंजीवाद संकट के दौर से गुजर रहा हो (जैसा की लेनिन ने कहा था फासीवाद सड़ता हुआ पूंजीवाद है ).
ऐसे दौर में इन साम्प्रदायिक ताकतों के मंसूबो नाकाम करने के लिए जरुरी है की जनता को मौजूदा आर्थिक , सामाजिक संकट के सही पहलुओं से अवगत कराया जाये और ये समझाया जाये की गरीबी , बेरोज़गारी जैसी समस्यायों के लिए वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था जिम्मेदार है न की कोई धर्म समुदाय। और इन समस्यायों से निजात भी तभी मिलेगी जब मेहनतकश इस मौजूदा शोषक व्यवस्था को उखाड़ फेंकेगा। अगर जनता ये समझने में नाकामयाब रही तो वह दिन दूर नहीं जब यंहा भी हिटलर के दौर की पुनरावृत्ति होगी।
(Cartoon : Times of India)
(Photo : roarmag.org)
हुआ हो या न हुआ हो किन्तु कुछ घटनाएँ ऐसी है जिनके बारे में आपको निरंतर सुनने को मिला होगा , जैसे
फलां चर्च में तोड़फोड़ , कंही नन का बलात्कार , कंही मस्जिद तोड़ने की बात , कंही हिन्दू जीवन शैली की बात तो कंही घर वापसी जैसे मुद्दे , कोई १० बच्चे पैदा करने की नसीहत दे रहा है , तो कोई चर्च में हनुमान की मूर्ति टांग रहा है , इसी तरह की और भी कई उदाहरण आपको मिल जायेंगे , अब बात करते हैं दूसरे पक्ष की तो वंहा भी कोई घर बचाने की नौटंकी करके हरिजनों को इस्लाम कबूल करवा रहा है , तो कंही पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लग रहे हैं .

ऐसे में इन फासिस्टों का पहला टारगेट होता है वो युवा वर्ग जो बेरोज़गारी , गरीबी जैसी समस्यायों से परेशान है , ऐसे युवा वर्ग को बड़ी आसानी से ये लोग यह समझाने में कामयाब हो जाते हैं की सारी समस्यायों की जड़ दूसरी कौम है और उसे एक कौम के खिलाफ भड़काते हैं। और ये कोशिशें तब और भी तेज हो जाती है जब पूंजीवाद संकट के दौर से गुजर रहा हो (जैसा की लेनिन ने कहा था फासीवाद सड़ता हुआ पूंजीवाद है ).
ऐसे दौर में इन साम्प्रदायिक ताकतों के मंसूबो नाकाम करने के लिए जरुरी है की जनता को मौजूदा आर्थिक , सामाजिक संकट के सही पहलुओं से अवगत कराया जाये और ये समझाया जाये की गरीबी , बेरोज़गारी जैसी समस्यायों के लिए वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था जिम्मेदार है न की कोई धर्म समुदाय। और इन समस्यायों से निजात भी तभी मिलेगी जब मेहनतकश इस मौजूदा शोषक व्यवस्था को उखाड़ फेंकेगा। अगर जनता ये समझने में नाकामयाब रही तो वह दिन दूर नहीं जब यंहा भी हिटलर के दौर की पुनरावृत्ति होगी।
(Cartoon : Times of India)
(Photo : roarmag.org)
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