Saturday, March 28, 2015

वर्ग हितों की बेशर्म अभिव्यक्ति था 25 मार्च का लाठीचार्ज

केजरीवाल सरकार को उसी के द्वारा किये गए चुनावी वादों की याद दिलाने गए मज़दूर कार्यकर्ताओं पर जिस बर्बर तरीके से पुलिस ने लाठीचार्ज किया  और जिस अमानवीय तरीके से कार्यकर्ताओं (जिनमे कई महिलाएं/लड़कियां भी शामिल थे) की पिटाई की गयी उससे यह साफ़ पता चलता है की हमारे देश में फासीवाद किस कदर अपने पैर फैलाता जा रहा है।  और जो लोग केजरीवाल को गरीबो का मसीहा मानते है उनको भी यह साफ़ हो गया होगा की ये आम आदमी का रोना रोने वाले वास्तव में किस आम आदमी के साथ हैं।  दरअसल केजरीवाल और उसके बाकी लग्गू भग्गू भी वही छुपे सियार है जो बकरी की खाल ओढ़ कर वोट माँगता है फिर चुनाव जितने के बाद उन्ही को खाने लग जाता है।  वादे तो इस मक्कार ने भी खूब लोकलुभावन किये किन्तु जब मज़दूरों ने उनकी याद दिलाने की ठानी तो यह अपने बिल में छुपा बैठा रहा और पुलिस को भेज दिया लाठियां भांजने।  यह वही केजरीवाल है जो एक बार अपने विधायक के लिए दिल्ली पुलिस के खिलाफ सड़क पर नौटंकी करने आ गया था।  और आज जब मज़दूरों की बेरहमी से पिटाई हुई तो न किसी विधायक और न ही किसी पार्टी के नेता का कोई बयान आया वैसे ये सारे के सारे मीडिया में नौटंकी करने रात दस दस बजे तक बैठे रहेंगे।  
                                  दिल्ली सरकार के इस रवैये से यह तो साफ़ हो गया है की बाकी पार्टियों की तरह ये सब भी रक्तपिपासु व्यापारियों के हितों को ही साधने वाली सरकार है।  और अगर मज़दूरों ने अपनी मूलभूत मांगे भी उठाई तो उनका ऐसे ही बर्बर तरीके से दमन किया जायेगा और उनके साथ जानवरों जैसा सलूक किया जायेगा।  25 मार्च की घटना से कम से कम इस बहुरूपिये का असली चेहरा तो सामने  गया।  यह साफ़ हो गया है की इसका हित भी खाते पीते मध्यवर्ग और व्यापारी वर्ग से ही जुड़ा हुआ है जो की पूरी तरह से फासिस्ट और मज़दूर विरोधी है. 

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